मौसम आते हैं ,जाते हैं
कुछ न कुछ देकर अपनी याद छोड जाते हैं
कभी मनभावन लगता है ,कभी दुखदायी लगता है
जैसा दर्द वैसा मंजर होता है
मौसम तो इंसान के अंदर होता है
शीत त्रृतु की कंपाती सर्दी
किसी को आनंद तो किसी को मौत दे जाती है
ग्रीष्म में कोई पर्वतीय स्थल की सैर तो कोई काम करते- करते तरबतर हो जाता है
वर्षा की फुहारे किसी को सुहावनी लगती है तो
किसी को बेघर कर जाती है
जिसकी जितनी औकात उतनी मौसम की बिसात
मौसम अपना मोहरा जब चलता है
तब सबकी छुट्टी कर जाता है
बडे- बडे महल खंडहर में तबदील कर जाता है
मौसम जब मिजाज बदलता है तब सुनामी ले आता है
खुश रहता तो हल्की- हल्की फुहारे
तांडव करता है तो प्रलय
जो जीवन देता है ,वही कभी आग बरसाता है
जो सुहावना लगता है वही कोहरा से ढक जाता है
हर मौसम के रंग निराले ,ढंग निराले
मौसम का स्वागत तो करना है
जीना भी तो उसी के साथ है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 24 July 2016
रंग बदलता मौसम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment