Tuesday, 26 July 2016

मेरी मॉ

मॉ तुमने मुझे जन्म दिया
पालन- पोषण किया
चलना सिखाया
उठते - गिरते पडते हर राह में आगे बढना सिखाया
पढना - लिखना सिखाया
कठिन राहों का सामना करना सिखाया
मेरी सहेली बनकर मेरे संग खेली
घूमना - फिरना ,खाना- पीना मेरे साथ
मेरे लिए दूसरों से लडाई की
हर समय मेरे साथ डट कर खडी रही
मुझे डॉटा भी ,मारा भी,नाराज भी रही
कभी- कभी मुझसे कितने दिनों तक बात नहीं की
कभी - कभी मुझे तुम्हारे व्यवहार से परेशानी भी हुई
तुम्हारी टोका- टोकी मुझे कभी नहीं भाइ
पर एक बात तो है तुमने बिना किसी कंडीशन के मुझसे निस्वार्थ प्रेम किया
मेरे हर निर्णय में मेरे साथ खडी रही
जितना तुम कर सकती थी किया
आभारी हूँ मैं तुम्हारी
ईश्वर ने तुम्हें अमूल्य वरदान के रूप में मुझे दिया
मेरे कारण कभी तुम्हारे ऑखों में ऑसू न आए
स्वर्ग का सिंहासन मिल जाय पर मॉ नहीं तो उससे ज्यादा दीन कोई नहीं
तुम्हारा साथ रहे तो हर कमी पूरी हो जाएगी
लबों पर उसके हमेशा दुआ ही होती है बच्चों के लिए
एक वह ही है जो कभी खफा नहीं होती
बच्चों को खुश देखना ही उसका जीवन
उन्हें देख - देखकर जीना ,उसे और क्या चाहिए
कोई समझे या न समझे पर उसकी संतान तो उसको समझती ही है
मॉ अपनी सामर्थ्य अनुसार सब करती है
उसके हाथ की रोटी का कोई सानी नहीं
आज पचास हजार कमा ले पर मॉ के हाथ का वह पचास पैसा अब भी याद है
घर की रौनक ही है मॉ
मॉ कभी अपने बच्चों को बडा होने ही नहीं देती
बचपन और लडकपन को जिंदा रखने वाली मॉ
मॉ तुम्हें शत- शत प्रणाम

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