तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा
स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
अंग्रेजों भारत छोडो
इन्कलाब जिन्दाबाद
जय जवान ,जय किसान
साइमन वापस जाओ
यह वाक्य है हमारे नेताओं के
पर अगर उन्होंने कहा होता कि
गॉधी - मैं हिन्दू हूँ
तिलक- मैं मराठी हूँ
मौलाना आजाद - मैं मुस्लिम हूँ
बोस - मैं बंगाली हूँ
लाला लाजपतराय- मैं पंजाबी हूँ
वल्लभ भाई पटेल - मैं गुजराती हूँ
और न जाने हमारे विकास पथ पर ले जाने वाले
जमशेद जी टाटा,विक्रम साराभाई,डॉ एनी बेंसेट,मैडम भिखाजी कामा,सरोजनी नायडू ,बाबा साहब आंबेडकर ,कलाम साहब,लालबहादूर शास्री ,जवाहरलाल नेहरू,रवीन्द्र नाथ टैगोर जैसे लोगों ने अपने आपको धर्म और राज्य में बॉटा होता तो विकास अंसभव था
और आजादी की तो बात ही नहीं होती
आज जाति ,प्रांत ,धर्म ,भाषा के नाम पर राजनीति हो रही है
हर कोई किसी न किसी का प्रतिनिधित्व कर रहा है
देश बाद में.
यह बहुत घातक है
कम से कम ७० सालों में बहुत कुछ सीखा है
और देखा भी है पर अब बस
देश तोडे नहीं देश जोडे
.जयहिंद वंदे मातरम
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