बारीश हो रही है जोरदार
नदियॉ उफन रही है चरम सीमा तक
गॉवों में पानी भर रहा है
लोग बेहाल है और प्रकृति के कोप से ग्रसित हो रहे हैं
हर साल बारीश आती है और जान- माल को हानि पहुँचाती है
पुल टूट रहे हैं और यात्रियों की बस और गाडियॉ समा ले रहे हैं
पुल तो ब्रिटिश राज में बना हुआ था
वो तो चले गए पर उनका पुल आज तक काम कर रहा था और हमारे बनाए पुल ???
पुल का काम जोडना है और एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना है
यहॉ वह लोगों को मौत के मुँह में पहुँचाने का काम कर रहे हैं
ब्रिटिश तो दूरदर्शी थे उन्होंने अब तक का इंतजाम कर दिया था
पानी की निकासी का गटर आज तक काम कर रहा है
हम उस पर केवल गगनचुंबी ईमारतें बनाए जा रहे हैं
कब शहर डूबे पता नहीं
उनकी बनाई ईमारते आज भी शान से खडी है और हमारी बनते- बनते ही ढह जा रही है
क्योंकि भ्रष्टाचार नहीं था
कानून का पालन होता था
अंग्रेजी का तो विरोध करते हैं पर पुल का निर्माण नहीं कर सकते
मंगल यान पर तो पहुँच रहे हैं पर सामान्य नागरिक मौत के मुँह में जा रहा है
अंग्रेजों ने ठेका तो नहीं ले रखा था कि हमारे ही बनाए का उपयोग करो
हम आराम से बैठते हैं जब विपदा आती है तो थोडा चेत जाते हैं
फिर वही ढाक के पात
सावित्री नदी का पुल टूटना उसी का परिणाम है
अब भी न जाने कितने जर्जर और पुराने पुल अपनी आखिरी सॉस ले रहे हैं
और कब लोगों को आखिरी सॉस लेने पर मजबूर कर दे ,कहा नहीं जा सकता
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Monday, 15 August 2016
पुल का काम गंतव्य पर पहुँचाना है यमराज के घर नहीं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment