Tuesday, 11 October 2016

Happy विजयदशमी राम-रावण युद्ध नवरात्रों में हुआ था। रावण की मृत्यु अष्टमी-नवमी के संधिकाल में हुई थी और उसका दाह संस्कार दशमी तिथि को हुआ। जिसका उत्सव दशमी दिन मनाया, इसीलिये इस त्यौहार को विजयदशमी के नाम भी से जाना जाता है। आज के दिन ही महा ज्ञानी रावण का दाहसंस्कार हुआ था मरते वक्त रावण ने लक्ष्मन को तीन सीख दी। जिसको अपनाना चाहिए 1. शुभ कार्य को जितनी जल्दी हो सके कर लेना चाहिए और अशुभ कार्य को जितना हो सके टालते रहना चाहिए। 2. शत्रु को कभी छोटा ना समझे, उसने कहा, अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए, वह आपसे भी अधिक बलशालि हो सकता है। मैंने श्रीराम को तुच्छ मनुष्य और भालू-वानर की सेना को छोटा समझा। मुझे लगा कि उन्हें हराना मेरे लिए काफी आसान होगा, लेकिन यही मेरी सबसे बड़े भूल थी 3. अपना राज किसी को मत बताओ अपने जीवन का कोई भी राज किसी को नहीं बताना चाहिए, विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था इसीलिए मेरी ये हालात हुई। ये मेरी सबसे बड़ी गलती थी। रावण ने तांडव स्तोत्र, अंक प्रकाश, इंद्रजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, नाड़ी परीक्षा आदि पुस्तकों की रचना की थी। पौराणिक ग्रंथों में वर्णन भी है कि रावण को कई भाषाओं का ज्ञान भी था।रावण बहुत बड़ा और अच्छा राजा था, उसकी सोने की लंका में उसके राज्यवाले बहुत ज्यादा खुश रहते थे। रावण बहुत बड़ा शिवभक्त था। आयुर्वेद, तंत्र और ज्योतिष का ज्ञाता रावण वैज्ञानिक भी था। इंद्रजाल जैसी अथर्ववेदमूलक विद्या का रावण ने ही अनुसंधान किया। हमारे ही देश में कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां रावण का दहन नहीं बल्कि उसका पूजन किया जाता है। कनार्टक कर्नाटक के मंडया जिले के मालवल्ली तालुका नामक स्थान पर रावण का मंदिर उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में रावण की पूजा होती है। आंध्रप्रदेश आंध्रप्रदेश के काकिनाड नामक स्थान पर भी रावण का मंदिर बना हुआ है। बिसरख यूपी के बिसरख नामक गांव में भी रावण का मंदिर है ऐसा कहा जाता है यह रावण का ननिहल था। उज्जैन उज्जैन जिले के चिखली गांव में रावण की पूजा होती है। मं दसौर मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण को पूजा जाता है। कहते हैं यह शहर रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी का मायका था।

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