प्रकाश न होता तो मानव का विकास न होता
यही प्रकाश की खोज उसको आज अंतरिक्ष और मंगलयान की सैर करा रहा है
बिना प्रकाश के तो और जीवों की तरह ही था वह
बिल्कुल जंगली
भोजन की जद्दोजहद ,प्रकृति की मार को झेलना
गर्मी की धूप ,ठंड की सिहरन ,बारीश की मार
पर यह सब उसे मंजूर नहीं था
मस्तिष्क कुलबुला रहा था
और उसने पत्थर से पत्थर घिस कर आग निर्माण किया
और सभ्यता की ओर पहला कदम बढाया
दूसरे जीवों से अपने को अलग माना
अब वह कच्चा नहीं पका खाना खा रहा था
अब वह अलाव जलाकर एक जगह पर आराम से रह सकता था
इस तरह प्रकाश का महत्तव समझ आया
सूर्य का प्रकाश ही क्यों स्वयं रात के समय अँधेरे को दूर करने का प्रयत्न करने लगा
चर्बी से दिया जलाने लगा
रात को मशान जलाकर आवाजाही करने लगा
अब वह एक ही जगह झोपडी डालकर रहने लगा
धीरे- धीरे प्रकृति के रहस्यों को समझने की कोशिश करने लगा
इस तरह आग के बाद दूसरी क्रांति हुई
न्यूटन और गैलेलियों के अविष्कार तक
अब तो प्रकाश अपना जलवा बिखेरने लगा
बिजली का निर्माण हुआ
और आज हम कहॉ पहुँचे हैं यह बताने की जरूरत नहीं है
हाथ में कम्प्यूटर और मोबाइल से खेल रहे हैं
और यह सब अगर प्रकाश न होता तो संभव न होता
दिए की रोशनी और बिजली के लेम्प में ही बैठकर पढाई कर आज यहॉ तक पहुँचा है इंसान
इसलिए शायद हम आज भी दिए को नहीं भूले हैं
शुभ कार्य में उसे ही जलाया जाता है
हर धर्म में प्रकाश को ,सूर्य ,चॉद को जो हमें उजाला देते हैं
उनका महत्तव है
तमसो मॉ ज्योतिरगमय
प्रकाश न होता तो विकास न होता
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Friday, 11 November 2016
प्रकाश की ओर
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