Friday, 11 November 2016

आम आदमी परेशान ,कुछ तो करो सरकार

आम आदमी परेशान , कुछ तो करो सरकार
काला धन की भरमार ,सरकार हुई लाचार
करना पडा बडा फैसला
काले धन पर कसने लगाम
बंद करने पडे नोट पॉच सौ - हजार
पर जनता भी तो है मजबूर
कहॉ से सब्जी- दूध खरिदे
बस- ऑटों का किराया कहॉ से लाए
रोज कमाना- रोज खाना ,वह क्या करे बेचारा
मिल भी रहा तो दो- चार हजार
इस मंहगाई में कैसे हो गुजारा
मौके है शादी- ब्याह के
बेटी के बाप का तो होश गए उड
कुछ ने तो बैंक का दर्शन भी न किया होगा
आज वह भी खडा कतार में
गृहणियों की बचत भी कर रही बवाल
आज छुपा रूपया का कहॉ करे इस्तेमाल
बैंक और ए टी एम के बाहर बढ रही भीड
और नोट हो रहे खत्म
मुँह लटका कर वापस लौट रहे
दूसरे दिन सुबह फिर आने के लिए
क्या करे काम करे या कतार में खडे हो
रूपया तो चाहिए ही
कतार में अमीर नहीं आम आदमी खडा है
गरिब को तो समझ नहीं आ रहा
उसको तो कोई उधार भी नहीं देगा
फिर उसके घर में चूल्हा कैसे जलेगा
यह अमीर को तो जोर का झटका है
पर गरिब को तो बेहाल कर रहा
काला धन बहाया जा रहा है ,फेका जा रहा है
उनका तो हाल हो रहा खराब
अलग- अलग तरकिबें की जा रही ईजाद
पर नहीं चल पा रहा उपाय
भर लिए अनाज दूकान से
रातोरात सोना खरिद लिया
डॉक्टरों से दवाई का स्टाक खरिद लिया दो- चार महिने का
पर फिर भी पैसा पडा है भरमार
वह तो आराम से हल ढूढेगे
पर आम आदमी की तो बढ गई दिक्कत
बाजार हो गए है वीरान
नहीं कोई है खरिदार
क्योंकि दूकाने गरिबों से होती है गुलजार
अमीर तो मॉल और एमाजोन से खरिदेगा सामान
उबर और ओला हो जाएगे बुक
उसको क्या दिक्कत
दिक्कत तो है आम आदमी को
क्या बुजुर्ग ,क्या युवा ,क्या महिला
सब है कतार में
कोई फार्म भर रहा ,कोई दूसरों से भरवा रहा
कतार में तो वही है आम आदमी
खास तो आराम से बैठे इसका तोड निकाल रहे होगे

No comments:

Post a Comment