Saturday, 5 November 2016

खुला गटर और जान की बलि

मुंबई के गोरेगॉव के सार्वजनिक शौचालय के टैंक में गिरकर चार वर्ष के बच्चे की मृत्यु हो गई
यह बहुत दुखदायी घटना है
न जाने कितने बच्चे मृत्यु के मुख में चले जाते हैं
कुछ का तो पता भी नहीं चलता होगा
घरवाले समझते होगे कि गुम हो गया या कोई उठाकर ले गया
रास्ते में खुले गटर पडे रहते हैं
बच्चे खेलते रहते हैं
कब कौन- सी दुर्घटना हो जाय???
लोहे के ढक्कन गरदुल्ले उठा ले जाते हैं
और कबाड वाले को बेच देते हैं
ताकि उनके नशे- पानी की व्यवस्था हो जाय
ऐसे कबाड और रद्दीवालों पर भी सख्त कारवाई होनी चाहिए
और बी एम सी को सींमेट के ढक्कन लगाने चाहिए
यहॉ तो रेल में टॉयलेट से मग और बैंक से पेन चोरी हो जाता है
उनको भी बॉध कर रखना पडता है
यह घटना पढ मुझे उस समय की घटना याद आ गई
जब मेरा बेटा कुछ छह- सात वर्ष का होगा
वह इमारत के पडोस में दो बच्चों के साथ खेल रहा था
उनका बॉल वहॉ एक जॉली टाईप बना हुआ था ,चली गई
बच्चे जाली में से अंदर गए
पर वहॉ का गटर खुला हुआ था
मेरा बेटा उसमें गिर गया ,बच्चे डर गए
एक तो भाग गया दूसरा असमान्य था
वह आया और मॉ की साडी पकड कर कहने लगा
गि गया गि गया पर स्पष्ट नहीं बोल पा रहा था
मॉ को खीचकर उस जगह ले गया और हाथ कर दिखाने लगा
तब तक सारी बात समझ आ गई थी
किसी तरह जद्देजहद कर निकाला गया
उसके बाद एक हप्ते ठीक होने में लगे
पूरे मैले से भरा था
पता नहीं ईश्वर की कृपा की ,कहॉ सहारा लेकर खडा था और किस तरह बचा
भला हो उस असामान्य बच्चे का जिसने समय पर आकर सूचित किया
नहीं तो कुछ और देर हो जाती तो शायद दम घुटने से या बह जाने से पता ही नहीं चलता
और हम न जाने क्या - क्या सोचते
कोई उठा ले गया या गुम हो गया
आज हम उसे अमिताभ बच्चन जैसा गटर से निकल आया
यह कह कर मजाक करते हैं
पर वह घटना आज भी रोंगटे खडा कर देती है
ईश्वर का धन्यवाद और उस बच्चे का भी
जो देवदूत बन गया
ऐसा किसी के साथ हादसा नहीं होना चाहिए
बडे क्या छोटे क्या???
बरसात में भी अमूनन ऐसी घटनाएं होता रहती है
गटर पर सींमेट का ढक्कन और उसकी जॉच भी समय- समय पर होना अनिवार्य है

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