Saturday, 19 November 2016

यही जीवन है

देखा तो तुमको देखती रह गई
यह वही है जिसको देख लोग चकित रह जाते थे
सुंदर देहयष्टि ,खिला- खिला चेहरा
घने लंबे लहराते बाल
चेहरे पर घुंघराली लटे
वह गोरा ,दुधियॉ रंग
मोती जैसी दंतपंक्ति
लंबी ग्रीवा ,तीखे नैन- नक्श
युवा तो फिदा ही हो जाते थे
हर कोई दोस्ती करने को आतुर
कहा जाता था ईश्वर ने इसे फुरसत के क्षणों में बनाया होगा
पर आज वह रूप बदल गया
लग ही नहीं रहा था कि यह वही है
पर चेहरे पर गजब की संतुष्टी थी
लगता था सारे जहॉ की खुशियॉ उसकी मुठ्ठी में है
एक बच्चा गोद में, दूसरे का हाथ पकडे
कपडे और मेकअप ,अस्तव्यस्त
यह वही है जिसके कपडो पर सलवट नहीं पड सकती थी
हमेशा करीने से और सजी- धजी
यह क्या रूप बना लिया है??
यही तो है जीवन का आंनद और सच्चा सुख
उत्तर मिला
पंत जी की उर्वशी याद आ गई
" गलती है हिमशिला ,सत्य है गठन देह की खोकर
पर हो जाती वह असीम कितनी
                     पयस्वनी होकर"

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