रेल हादसे में हो या बैंक की कतार में
मौत तो मौत ही है
जान तो कीमती है
और उसका कोई सानी नहीं
मुआवजा दो या फिर नौकरी
गया हुआ तो वापस नहीं लौटने वाला
न जाने कितनों को पीछे बिलखते छोड गया
कभी न आने के लिए
बडा कार्य करना है तो ऐसा कुछ घटनाएँ होगी
यात्रा करनी है तो दुर्घटनाएँ भी होगी
क्यों पर इसका जिम्मेदार तो कोई होगा
ईश्वर तो नहीं है
क्योंकि यह मानव रचित संसार की देन है
जब हादसा हो जाता है
तब चेता जाता है और कभी- कभी तो वह भी नहीं
बैंकों की कतार पर मौते अब भी हो रही है
हर दिन किसी न किसी के मरने की खबर
रेल दुर्घटना पहले भी और अब भी
एक- दूसरे को दोष देने का सिलसिला जारी है
और रहने वाला है
पर जिसकी जान गई
उसका क्या??
उसके परिजनों का क्या??
यह सवाल तो जरूर है
कब उसकी समीक्षा होगी
राह निकलेगी
सरकार बदलती है
पर
सवाल तो वही है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 20 November 2016
मौत तो मौत ही है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment