मैं नहीं चाहती कि सारा आकाश मेरी मुठ्ठी में हो
मैं यह भी नहीं चाहती कि क्षितिज मेरे सामने बॉहे फैलाए खडा हो
हॉ यह जरूर चाहती हूँ
कि मेरे बच्चों को उडने की शक्ति दे
व्यवस्थित घर - संसार ,जीवन का निर्माण हो
जब भी मेरे कदम डगमगाए
उन्हें इतनी शक्ति देना कि वह अपनी जडो को पकडे रहे
जब भी कमजोर पडू ,मन को आश्वस्त करना
जब भी डर लगे ,निर्भयता का वरदान देना
दुख के क्षणों में भी मैं घबराऊ नहीं
बल्कि डटकर उनका सामना करू
दुख और संघर्ष से मुझे मुक्ति मिले
यह मेरी कामना नहीं
दुखों और संघर्षों का हँसकर मुकाबला करू
इसी आशिर्वाद की अपेक्षा है ईश्वर से
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Thursday, 8 December 2016
मेरी आंकाक्षा
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