Thursday, 8 December 2016

बटाटा - मत कहिए टा टा

मैं आलू  कहीं- कहीं बटाटा
पर सब करते हैं मुझे टा टा
मैं हर घर- रसोई की जरूरत
शाकाहारी या मांसाहारी
हॉटेल ,रेस्तरा ,गली ,चौराहा ,हर जगह
सस्ता और अच्छा ,स्वादिष्ट भी
गरिबों का तो पेट भरने का जरिया
बडा- पाव तो हर किसी की पसन्द
समोसा ,वेफर ,पेटिस हर समारोह में
हर सब्जी के साथ घूल- मिल कर रहना
सब्जी की मात्रा बढानी हो या कम हो
मैं सस्ता जो हूँ और मिलनसार भी
फिर भी लोग नाक- भौं सिकोडते हैं
हर चीज में बटाटा !!???
डाइटिंग करने वाले मुझसे परहेज करते हैं
मुझे खाकर मोटापा जो बढ जाएगा
कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च से भरपूर हूँ
पर वे यह भूल जाते हैं कि मुझमें बहुत से गुणधर्म है
पर तलकर मेरा गुण खत्म कर दिया जाता है
और दोष मुझ पर ?!?
मैं बच्चों ,बूढो और जवान सभी का प्यारा हूँ
सब चाव से खाते है मुझसे बना स्वादिष्ट पदार्थ
फिर भी मुझे दोष दिया जाता है
क्या फिर वही बटाटा ???
मुझे दुख होता है
मैं तो सबके काम आता हूँ
मेरे ऊपर गाना और शायरी भी की गई है
" जब तक समोसे में रहेगा आलू...........
मैं भी सम्मान चाहता हूँ ,निरादर नहीं
जब सब सबजियॉ मंहगी हो जाती है तब भी मैं ही साथ निभाता हूँ
मैं तो हर मौसम में चलता हूँ
रसोईघर की रौनक हूँ
मुझे टा टा मत करिए .
सब्जियों का राजा कहिए

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