Saturday, 3 December 2016

जिंदगी की बस छूट न जाय

आज समय से केवल पॉच मिनट देरी से निकली
चाल तेज कर दी ,रास्ता क्रास करने की कोशिश की
तब तक सामने बस स्टॉप पर बस आ गई
मन मसोसकर रह गई
अब कम से कम दूसरी का आधा घंटा इंतजार करना पडेगा
यह पॉच मिनट की देरी भारी पड गई
अब यह लेट होता ही रहेगा
दफ्तर में लेट मार्क लगेगा
शायद बॉस की क्रोधी निगाह भी पड जाय
जीवन का भी यही दस्तूर है
कभी- कभी अवसर सामने होते हैं
पर हम उसको किसी कारण से खो बैठते हैं
बाद में पछताते रहते हैं
पता नहीं दूसरा मौका कब हमें मिले
समय को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए
जिंदगी अवसर तो हर एक को देती है
हॉ ,कोई अवसर को लपक कर पकड लेता है
तो कोई छोड देता है
छोडने वाला फिर इंतजार करता रहता है
दूसरे अवसर की तलाश में
"अब पछताएं का होत है जब चिडियॉ चुग गई खेत "

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