भ्रष्टाचार जहॉ देखो वहॉ इसका बोलबोला
फिर वह घर में हो या बाहर
विद्या का मंदिर हो या फिर कानून व्यवस्था
सब उसकी भेट चढ गए हैं
ईमानदारी को जीने नहीं दिया जाता
उसका पहले ही गला घोट दिया जाता है
ईमानदार को या तो बेईमान बना दो
या फिर मौत के घाट उतार दो
यहॉ तक कि भ्रष्टाचार के विरोध में आए नेता आज सबसे बडे भ्रष्टाचारी बने बैठे है
सत्ता का सुख भोग रहे हैं
अब मुँह से आवाज नहीं निकलती
पहले धरना देते थे आज घर में छुप कर बैठ गए
पहले सडक पर लेट जाते थे
आज सडको पर जाम करा देते हैं
क्या कहा जाय
कौन सही कौन गलत
शेर के मुंह में खून लगने पर वह आदमखोर हो जाता है
वैसे ही सत्ता प्राप्त होने पर पैसे की खुशबू आने लगती है
इतना बना कर रख देते हैं कि कई पीढिया बैठ कर खाए
समाजवाद के नाम पर ,भ्रष्टाचार के नाम पर
सेवा के नाम पर ,सुधार के नाम पर
भेदभाव के नाम पर जनता को ठगना इनका पेशा बन गया है
यहॉ तक कि भगवान को भी नहीं छोडा
भगवान के नाम पर सत्ता हासिल कर अपना घर बना लिया पर भगवान अभी तक निर्वासित है
दलितो और पिछडो की राजनीति
अल्पसंख्यकों और धर्म की राजनीति
उसके बाद अपना घर भरना शुरू
और तब तक शोषण जब तक कि सब कुछ न भर जाय
जनता ठगी देखती रह जाती है और यह मजे से जीते हैं
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Friday, 26 May 2017
भ्रष्टाचार की गोद में बैठ गई ईमानदारी
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