आज यह नाम सबकी जुबा पर चढा हुआ है
राजनीतिक हलको में तो इनके नाम पर जमकर राजनीति हो रही है
मायावती ,मीरा कुमार और कोंविद
सुशील कुमार शिंदे , आठवले और पासवान
यह राजनीति के जाने- माने चेहरे है
भारत की स्वतंत्रता के इतने साल बाद भी दलित राजनीति की जरूरत है
बेटी ,दलित और पिछडा ,धर्म आधारित राजनीति कब तक होगी
राष्ट्र पति चुनाव तक को नहीं बख्शा
यह तो वे नाम है जो बहुत आगे है हर तरह से
बाबू जगजीवनराम और बाबा साहब आंबेडकर का जमाना नहीं है
गरीब को नेता नहीं रोटी चाहिए
उसका सुधार करने वाला चाहिए
वह किसी भी जाति या धर्म का हो
वोट के कारण नेता जनता को भावनात्मक रूप से भडकाते हैं
यह स्वस्थ राजनीति नहीं है
इसका परिणाम भयंकर होगा
भारत की एकता और अखंडता के लिए यह बहुत बडा खतरा है
अभी भी समय है
सबका साथ सबका विकास हो
किसी को भी जाति और धर्म से न जोडा जाय
सबका विकास होगा तो ही भारत की दशा और दिशा भी बदलेगी
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Saturday, 24 June 2017
दलित और धर्म गत राजनीति
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