सूर्य रोशनी देता है
सारे जग को प्रकाशमान करता है
चंद्रमा अपनी चॉदनी से आलोकित कर शीतलता देता है
सागर स्वयं को मिटाकर वाष्प बन कर बादल निर्माण करता है
बादल बरसकर जग को तृप्त करते हैं
नदी जल बॉटती है
पेड फल - फूल ,औषधि और छाया देते है
पुष्प सुगंध देता है ,सारे जग को महकाता है
बदले में हमसे कुछ नहीं लेते
अपना कर्म नियमित रूप से करते रहते हैं
मनुष्य को भी बिना स्वार्थरहित निष्काम कर्म करते रहना चाहिए
किसी से भी अपेक्षा नहीं करनी है
चाहे वह स्वयं की संतान ही क्यों न हो
अपेक्षा न पूरी हो तो दुख के सिवाय कुछ नहीं
पशु- पक्षी भी अपने बच्चों का पालन- पोषण करते हैं
तब तक जब तक कि
जब तक अपना भोजन न जुटा ले
संतान हमें आनंद देती है
हमें जीवन से जोडती है
हमारे जीने का उद्देश्य होती है
हमने उनके लिए इतना सब किया
इसलिए
वह भी करे यह जरूरी तो नहीं
प्रेम कोई व्यापार नहीं है
कि देने के बदले लेना
किसी पर बोझ मत बनिए
स्वयं खुश रहिए और दूसरों को खुश देखकर खुश रहिए
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Saturday, 24 June 2017
निस्वार्थ कर्म हो
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment