प्रेम का सौंदर्य को उपहार चुंबन नहीं तो और क्या है
प्रेम का सौंदर्य को उपहार आलिंगन नहीं तो और क्या है --- राष्ट्रकवि दिनकर की उर्वशी की ये पंक्तियॉ
पाश्चत्य देशों में इसे अश्लील नहीं माना जाता
पर हमारे देश में तो सब परदे में रखा जाता है
ठीक है यह सब सरेआम नहीं होना चाहिए
पर अगर हुआ भी तो क्या पहाड टूट पडा
हमारी परम्परा में अभी इतना खुलापन नहीं है पर कुछ धर्मों में इसे बुराई नहीं माना जाता
वहॉ तो शादी के समय दूल्हा ,दूल्हन को चुंबन और आलिंगन देता है
इसका मतलब वे निर्लज्ज है क्या??
समाज के कुछ ठेकेदार आजकल लोगों को सताने में लगे हैं
कोई प्रेमी जोडा अगर बतिया रहा है या घूम रहा है तो उस पर मारा- पीटी कर रहे हैं
अपना दृष्टिकोण सुधारना है
कोई छोटा कपडा न पहने
मोबाईल पर बैंन
घर से बाहर न निकले
बुरके और सर पर पल्लू हो
यह सब क्या है??
यह दकियानुसी विचारधारा वाले लोगों ने लोगों को सुधारने का ठेका ले रखा है
लोग आधुनिक युग में जा रहे हैं
और ये पुराने ढर्रे पर जाने को मजबूर कर रहे हैं
युवा पीढी और पढी- लिखी पीढी इसे क्यों स्वीकार करेंगी
वह तो वेलेंटाईन डे भी मनाएगी
मॉर्डन कपडे भी पहनेगी
प्रेम का इजहार भी करेगी
नजरियॉ बदलो ,सोच बदलो, लोगों को मत बदलो
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