मैं दूकान पर कमीज लेने गई थी ,दूकानदार ने दो- चार दिखाई
उसमें से एक हरे रंग की मुझे पसन्द आई
मैं उसे लाकर पॉलिथीन बैग के साथ ही रख दिया
आज जब पहनने के लिए निकाला तो वह नीले रंग का था
पहले तो ऐसा लगा गलती से रख दिया होगा दूकानदार ने ,पर वही डिजाईन ,वही पैर्टन
फिर मेरे सामने रखा था
मैंने बिल का भुगतान करते समय एक बार देखा भी था
लेकिन कुछ देर बात समझ आ गया
बचपन में हम चित्रकला करते समय नीला और पीला रंग मिलाकर हरा बनाते थे
वही हुआ था
पीले रंग का बल्ब था उसकी रोशनी में वह हरा महसूस हो रहा था
यह ऑखों का भ्रम था
कभी- कभी होता कुछ है और हम देखते कुछ है
देखा हुआ भी सही हो ऐसा नहीं है
बहुत सोच समझकर और जॉच पडताल कर कोई कदम उठाना चाहिए
नहीं तो जिंदगी भर पछताना पडता है
दूसरे के नजरिये से भी नहीं देखना है
क्योंकि वह भी हम पर हावी हो जाता है
तटस्थ भाव रख कर देखना है
क्योंकि हम जो चाहते हैं ,वही हमें दिखता है
ऑखों के भ्रम में नहीं आना है
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Wednesday, 5 July 2017
ऑखों का भ्रम
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