मैं इस जीवन से ऊब गई
नीरस और बेमजा
रोज- रोज वही काम ,वही खाना बनाना ,घर की देख- रेख
क्या रखा है जीवन में????
हमसे तो अच्छे ये पशु- पक्षी
निर्द्वद घूमना ,विचरण करना
न कल की चिंता , न भविष्य की परवाह
यह रोज की ऊठा - पटक
तंग आ गई हूँ ताने- बाने बुनते
क्या यही जीवन है????
नहीं , ऑखे खोलकर देखो और महसूस करके देखो
खाना खाते समय स्वजन के चेहरे पर तृप्ति का भाव
ऑफिस के सहकर्मियों के साथ हँसी - मजाक
सुबह - सुबह सूर्य की किरणों से ताजगी
चंद्रमा की शीतल चॉदनी और तारों की टिमटिमाहट
पेडो का झूमना और पक्षियों का कलरव
बारीश का गिरना और सागर का लहराना
मंदिर की घंटी और शंख का नाद
यह सब भी तो देखो और महसूस करके देखो
बच्चों से लाड लडाकर
बुजुर्गों का आशिर्वाद
किसी गरीब की सहायता
भूखे को खाना खिलाना
मेहमानों की आवभगत तथा उनके चेहरे पर मुस्कान लाकर तो देखो
जीवन बहुत सुंदर है ,उसे महसूस करके तो देखो
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Wednesday, 5 July 2017
जीवन बहुत सुंदर है ,महसूस करकेतो देखो
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