खिडकी पर बैठी सडक पर देख रही थी
लोग अपनी गाडी या बाईक घुमाकर और निकालकर आगे बढ रहे थे
बाईक के पीछे बैठे लोग निश्चिंत हो बैठे थे
उस पर भरोसा जो था
सब चालक के हाथों में था
वह सुरक्षित पहुंचाएगा या नहीं , वही जाने
जिंदगी भी तो ऊपर वाले के हाथ में है
वह जिस रास्ते से और जैसे ले जाय
हमारा तो कोई बस नहीं
हॉ, विश्वास जरूर करे कि वह हमें मंजिल तक जरूर पहुंचाएंगा
इन उबड- खाबड रास्तों और गढ्ढों से निकालकर
सब्र जरूर रखना है
जो भी वह करेगा हमारे भले के लिए ही करेगा
बस हम अपना कर्तव्य करें
बाकी सब उसके हाथ में सौंप दे
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Wednesday, 5 July 2017
चालक के भरोसे गाडी
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