Tuesday, 1 August 2017

बरसे तब भी और न बरसे तब भी

बरसे तब भी और न बरसे तब भी
फिर करे तो क्या करे ??
कोसने वाले हमेशा कोसेगे ही
ज्यादा पानी क्यों गिरा
बारीष हुई ही नहीं
न जाने कब बरखा रानी मेहरबान होगी
यह चारों तरफ कीचड ही कीचड
दिन में क्यों बरसता है
रात में बरसे जब सब सब घर पर हो
कितनी परेशानी आने - जाने में
पता नहीं कब धूप निकलेगी
कपडे सूखना भी मुश्किल
अरे यार इतनी गरमी
इस साल बारीश होगी या नहीं
अरे क्या झिम- झिम हो रही है
जरा जम कर बरसे
अब बरखा रानी समझ नहीं पा रही है
आखिर करे तो क्या करे .

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