सुर्दशन चक्रधारी यशोदान्नदन मोहन से लेकर चरखाधारी मोहनदास करमचंद गॉधी
अहिंसा के दोनों पक्षधर
युद्ध में शस्र न उठाउंगा पर अर्जुन को गीता का उपदेश देकर युद्ध के लिए प्रवृत्त करना
सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चले गॉधी पर करो और मरो तथा अंग्रेजों भारत छोडो - अभियान छेड दिया
महान कुटनीतिज्ञ कृष्ण , जयद्रथ वध ,द्रोणाचार्य की हत्या
युधिष्ठिर से कहलवा कर - नरों या कुंजरों
द्रोपदी को भीष्म से सदा सुहागन का आशिर्वाद
कुन्ती पुत्र बताकर महान योद्धा कर्ण को बेबस और लाचार कर देना
वहीं गॉधी ने रंगभेद ,विदेशी का बहिष्कार ,दांडी यात्रा,अहिंसा और सत्याग्रह का जो बिगुल छेडा कि अंग्रेजों को खदेडकर ही छोडा
नमक ,कपडा यह गॉधी के हथियार बने और इस माध्यम से गॉधी हर घर में पहुंचे
भारत को आजादी भी मिली और सेहरा बापू के सर पर बंधा
७० साल बाद कृष्ण का जन्मोत्सव और भारत की स्वतंत्रता का जन्मोत्सव एक साथ आया है
महाभारत काल में अधर्म पर धर्म की विजय हुई थी
इस काल में गुलामी पर आजादी की विजय हुई है
युद्ध के बाद का दृश्य तो और भयानक था
आखिरकार विजयी पांडवों को परीक्षित को राज्य सौंप कर जाना पडा
मन अशांत जो था , अपने ही मरे थे
भाई- भतीजा ,चाचा ,दादा और रिश्तेदार
बचे थे औरतें ,वृद्ध और बच्चे
युद्ध का परिणाम तो घातक ही होता है
भारत भी आजादी प्राप्त करने के बाद विभाजित हो गया
आज परिस्थितियॉ वह तो नहीं है पर समस्याएं भी तो कम नहीं है
एकता - अखंडता को कायम रखना है
असामाजिक तत्वों को दूर रखना है
भ्रष्टाचार को जड से मिटाना है
एक खुशहाल और उन्नत भारत बनाना है
यह अपेक्षा आज के नरेन्द्र यानि प्रधानमंत्री मोदी से की जा रही है
अब देखना यह है कि इस कसौटी पर वह कितने खरे उतरते हैं.
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Wednesday, 16 August 2017
यदुवंशी यशोदानन्दन मोहन से गुजरात के मोहनदास , नरेंन्द्र का भारत
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