Wednesday, 30 August 2017

तलाक - तलाक - तलाक

तलाक यह केवल शब्द नहीं है
यह वह हथौडा है जब प्रहार करता है तो जीवन ही बदल जाता है
मुस्लिम औरतें डर और खौफ के साये में जीती रहती है शौहर की खिदमतगारी करती रहती है
न जाने कौन- सी बात पर शौहर नाराज हो जाये
दूसरे धर्मों में तो लंबी प्रक्रिया से गुजरना पडता है
सालोसाल लग जाते हैं
पर मुस्लिम औरतोे के लिए तो
यह गाज कभी भी गिर सकती है
धर्म के ठेकेदारों को यह समझना पडेगा
इंसानियत से बडा कोई धर्म नहीं होता
इसमें बच्चों की तो दुर्दशा हो जाती है
बेचारगी के मारे बन जाते है
मर्द तो दूसरी शादी कर घर बसा लेगा
पर औरत  का क्या ???
वह कहॉ फरियाद करेंगी और किससे?
अच्छा है फैसला उनके हक में आया है
ताकि मर्द जाति तलाक को खेल न समझे
दूसरे की जिंदगी से खिलवाड न करें
अब कानून सरकार को लाना है
तलाक पर सख्त होना है
यह तीन बार बोलने से नहीं
कोर्ट के चक्कर लगाने और न्याय के साथ हो
कितना सहेगी औरतें
परदे में रहो ,बुरके में रहो.
और इससे तो विकास अवरूद्घ होगा
एक पूरी जमात को गुलाम बनाने की साजिश है यह
इसे खत्म करना होगा
मर्द खुदा नहीं है कि औरत उसके रहमोकरम पर जीए
वह एक जीती - जागती इंसान है
वह अर्द्धांगिनी है
वह मॉ है , बेटी है , बहन है
सबसे ऊपर एक व्यक्ति है
उसका जन्म रोने के लिए नहीं हुआ है.
अपने को साबित करने के लिए हुअा है
उसको हर मौका मिलना चाहिए
जीने का अधिकार मिलना चाहिए
वह औरत है वस्तु नहीं
जब चाहे हाथ पकडा और जब चाहे छोडा
छोडने वालों को भी तलाक कहते समय खौफ रहना चाहिए
और यह अधिकार का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए

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