Thursday, 30 November 2017

अगर तुम होती तो क्या होता

तुम होती तो क्या होता
धूप भी लगती मधुर चॉदनी
रात्री की नीरवता भी गाती मधुर गीत
झिंगुर की आवाज में आती पायल की खनक

अगर तुम होती तो क्या होता
हवा की ठंडी - ठंडी मंद बयार
छूकर मन को आह्लादित कर जाती
पुष्पों की सुंगध वातावरण को महकाती
पतझड भी वसंत लगता

अगर तुम होती तो क्या होता
बादल भी इंद्रधनुषी लगता
क्षितिज का रीतापन भी रंगबिरंगी लगता
पैरों तले मखमली हरियाली का आभास होता
शुक्र ग्रह भी भोर में स्वागत करता हँसते - मुस्कराते

तुम होती तो यह जग सुंदर लगता
सुंदर से सुंदरतम रचना लगती कलाकार की
दूधिया चॉदनी का वास होता , न होता धुंधलापन
तुम होती तो मेरा जीवन , न जाने कैसा होता
जो भी होता , सुंदरतम और खूबसूरत ही होता

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