Friday, 1 December 2017

विकास या धर्म की राजनीति

राहुल गांधी का धर्म क्या है यह मसला नया  - नया हर जगह छाया हुआ है
विकास पीछे छूटा धर्म आगे आया
क्या इन पार्टियों और नेता को कोई काम नहीं बचा है
रजिस्टर खंगालने के
धर्म और जाति के आधार पर देश को बॉटना
जनता को बरगलाना
काम को छोड व्यक्ति गत प्रहार
कोई अछूता नहीं है
इनकी महानता , सपने , वादे सब धरे रह जाते हैं
जनता किसको आदर्श नेता माने
जिनको महान मान रही थी ,उनकी भी बक्खिया उधेडी जा रही है
७० साल के भूतकाल को ढूढकर निकाला जा रहा है
वर्तमान की चिंता छोड भूतकाल में विचरण किया जा रहा है
नेहरू , पटेल को भी घसीटा जा रहा है
अपने गिरेबान में तो झाकने से रहे
हॉ हमारे दिवंगत नेताओं के गिरेबान में जरूर झाक रहे
साम - दाम - दंड - भेद की नीति राजनीति में अपनानी चाहिए पर इतना नीचे गिरकर
अरे काम करो ,विकास करो , जनता की समस्या दूर करो
न कि नेताओं के व्यक्ति गत जीवन में ताक - झाक
किसी का धर्म जान लेने से जनता का क्या भला होगा
मीडिया भी खूब दिखा रहा है
चिल्ला - चिल्लाकर चर्चा और प्रवक्ता को किस तरह नीचे गिराना - उठाना
यह बखूबी जानती है जबकि मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए
नेता को जनता ने काम और सेवा के लिए भेजा है
वे सेवक है तो तन - मन से सेवा करे

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