बस स्टॉप पर खडी थी , बस के इंतजार में
एक बुजु्र्ग भी खडे थे मटमैला कुरता - पाजामा पहने
बसस्टॉप पर बैठने की जगह एक शख्श सोया था और एक बैठा - बैठा थूके जा रहा था
सुबह - सुबह यह दृ्श्य देख मन खिन्न हो गया
अचानक एक नौजवान बाईक से गुजरा
बाइक रोक पूछा - बाबा कहॉ जाना है
युवक ने मराठी में बोला था पर बाबा समझ गए थे
बोले नायर अस्पताल जाए का है बचवा
युवक ने उत्तर दिया - या बसा , मी सोडते तुम्हाला
अब तो मुस्कराने की मेरी बारी थी
भाषा और प्रान्त की जगह इंसानियत जीत रही थी
ऐसा ही वाकया मैं जब वापस आ रही थी
टेक्सी में बैठ कर
सूखी खॉसी थी आती थी तो थमती नहीं थी
टेक्सी वाले ने पानी दिया ,पहले तो मन नहीं हुआ पीने का पर उसका प्रेम देख पी ली
उसके बाद उसने जेब से हॉल्स निकालकर दिया
और जब मैं उतरी तो Thank you बोले बिना मन नहीं माना
अगर बुराई है तो साथ में अच्छाई भी है तभी तो यह संसार चल रहा है.
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Sunday, 10 December 2017
एक मुस्कराहट भी काफी है
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