Monday, 4 December 2017

मोबाईल की वाह , कैमरे की आह

मैं फोटोग्राफर हूँ और कैमरा मेरी जीविका का साधन
ताजमहल ,गेटवे ऑफ इंडिया , चौपाटी , समुंदर , शहर सभी का नजारा
कैमरे में कैद करने को आतुर
भ्रमण के साथ निशानियॉ भी साथ ले जाना
नाते- रिश्तेदारों ,परिचितों को दिखाना
कुछ शहर के , कुछ अन्य प्रांतों के ,कुछ विदेशी
अमीर - गरीब ,बूढे - बच्चे , प्रेमी- प्रेमिका , नवजोडा या परिवार
हर पर्यटक फोटों खिचवाने को उत्सुक
न जाने कितनों की सुनहरी यादे इस कैमरे में कैद
कोई आलिंगन की मुद्रा में
कोई दोस्तों के साथ खिलखिलाता
कोई केशों को लहराता
कोई पूरे परिवार को कैद करने में प्रयत्नशील
फोटों हाथ में आते ही चेहरे पर प्रसन्नता
मेहनतना स्वरूप पैसे के साथ बख्शीश भी
समय ने पलटा खाया , मोबाइल का जमाना आया
अब तो कोई पलट कर भी नहीं देखता
वह जमाना गुजर गया जब लोग प्रतीक्षारत रहते थे
अब तो सेल्फी का जमाना
किसी और की जरूरत कहॉ
अब तो हम इंतजार करते हैं ग्राहक की
कोई तो हमें आवाज दे
मेरा कैमरा भी मायूस हो गया है जैसे
हमारी तो रोजी - रोटी भी छिनी जा रही है
किसी का सपना , हर हाथ में मोबाईल अपना
सही तो हो गया , विकास ने पैर पसारा
हमें तो कर दिया बेरोजगार
न जाने कितने धंदे - व्यापार को यह लीलेगा
मशीन , हाथ की जगह ले लेगा
हम मायूस हो बस देखते रह जाएगे

No comments:

Post a Comment