Wednesday, 13 December 2017

शब्दों के बाण

शब्द की महिमा अपरंपार
शरीर के घाव भर जाय पर शब्द के घाव??
शब्दों के इर्दगिर्द घूमती है दुनिया
जब शब्द बोला तब भीष्म को आजीवन ब्रहचार्य का व्रत लेना पडा
उसकी परिणिती महभारत के रूप में हुई
द्रोपदी एक कडी थी , बीज सत्यवती ने रखा था
देवव्रत की वीरता इतनी निरकुंश हो गई कि काशी नरेश की कन्याओं को जीत लाई
अंबा ने मुंह खोला वह भीष्म की मौत का कारण बनी भले ही पुर्न जन्म लेना पडा शिखंडी के रूप में
गांधारी बोल नहीं पाई और ऑखों पर पट्टी बांध ली
गांधार नरेश शकुनी बोल नहीं पाए पर बदला जरूर ले लिया ,महाभारत कराकर
धृतराष्ट्र बोल नहीं पाए राजमुकुट पांडु के सर ,
पर जिंदगी भर मुकुट को छोडा नहीं
द्रोपदी के चीरहरण के समय भी कुछ बोल नहीं पाए नहीं तो यह होता ही नहीं
यह तो महाभारत था
रामायण में जब कैकई ने बोला तो राम को चौदह साल का वनवास मिला
शब्द के हथियारस्वरूप जो दो वर थे पास में
आज भी देश में जंग छिडी है
शब्दों के तीर ढूढ - ढूढकर चलाए जा रहे हैं
किसकी भाषा कितनी प्रभावी है
काम नहीं शब्द बोल रहा है और जो इसमें बाजी मारेगा वही विजेता
शब्दों का प्रयोग कब और कहॉ करना है यह भी एक कला है
जिसे यह कला आ गई उसने सबको जीत लिया .

No comments:

Post a Comment