Saturday, 4 August 2018

रो ले ,जी हल्का कर ले

रोना न जाने आज किस बात पर आया
खुशी मिली फिर भी
यह खुशी इतनी सस्ती नहीं
बहुत कीमत चुकानी पड़ी है
सब याद आ जाता है
बीता हुआ समय तो बीत जाता है
पर क्या कुछ नहीं छोड़ जाता
उसे कैसे भूला.दिया जाय
सुख पर.दूख भारी पड़ गया
अब जब सब बीत गया
तब आज अतीत के पन्ने पलटा जा रहा है
और अतीत वर्तमान पर भारी है
इस खुशी के लिए बरसों का इंतजार
पल पल काटा हुआ सब घूम रहा
समय गुजर गया
उम्र बीत चली
सपने धूमिल पड़े
न जाने कितने प्रयत्न किए
तब यह दिन आया
पर जो गुजरा
वह वापस नहीं आता
रोना इसी का परिणाम
खुशी पर भी रूलाई
यह अस्वाभाविक नहीं
यह होना ही है
इसलिए जब रोना आए
जी भर कर रो ले

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