Thursday, 20 September 2018

विश्व शांति की दरकार

विश्व शांति की दरकार
बारूद के ढेर
परमाणु बम जैसे हथियार
लडाकू विमान
मारक पनडुब्बी
हथगोले और टैंक
राँकेट और बंदूकें
जब यह सब हैं जमा
तब कैसे होगा शांत
हर एक दूसरे पर दवाब बना रहा
मैं तुमसे आगे
इस तू तू मैं मैं मे
विश्व बना विनाश का घर
शांति किसी एक की नहीं
सबकी है जरूरत
मानव है
मानवता है
यह तो आंतक पर भारी है
नवनिर्माण का युग
विनाश कहाँ तक उचित
हर बार भारी पडी मानवता
कब तक जीवन से खिलवाड़
विनाश क्षणों मे
निर्माण मे सदियों
तबाही घातक है
फिर वह क्यों आड़े आती
जीवन ईश्वर का वरदान
खत्म करना या नवजीवन का संचार
यह हमारा नहीं अधिकार

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