Friday, 2 November 2018

बिदाई और जुदाई

बिदाई का दूसरा नाम ही है जुदाई
बिदा होते और देते समय
मुसकान होठो पर
आँखों मे आँसू
यह स्वाभाविक है
हम तो इंसान है
भावनाओं के वश मे होते हैं
जहाँ लोगों के साथ समय बिताया हो
सुख दुख बाँटे हो
वादविवाद किया हो
अपनी बात मनवाया हो
साथ मे मजे किए हो
आदेश दिया हो
अपना हक समझा हो
निश्चिंत होकर विचरण किया हो
किसी से परमीशन लेने की जरूरत नहीं हो
यह.हमारा क्षेत्र हैं
हम यहाँ के बाँस है
यही हम महफूज है
यही हमने महफिलें सजायी है
यही चार दोस्तों ने मिलकर शमा को जानदार बनाया है
यह कुर्सी हमारी
यह टेबल हमारा
यह बच्चे हमारे
यह दोस्त हमारे
यह स्टाफ रूम हमारा
यह विषय हमारा
जिसके कि हम सिकंदर है
किसी की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं
यह विभाग department हमारा
यह पेपर हमारा
यह विषय शिक्षिका हमारी
इतना समय समर्पित
जहाँ का साम्राज्य ही अपना
अपने ज्ञान का परचम मनवाना
इतना आसान नहीं है भूलना
जिंदगी का अनमोल समय
अपनी जवानी ,यौवन
यही दिया
इसके साक्षी भी सब
यह वास्तु ,यह परिसर
यह पेड़ -पौधे ,पक्षी
हजारों बच्चों को शिक्षा
वर्ष दर वर्ष
यह तो अभिन्न अंग बन चुके हैं
बिदाई हुई है
वह तो औपचारिकता है
पर मन से जो यह जुड़ाव है
वह तो बिदा होने से रहा
बिदा तो हुए पर जुदा नहीं ।

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