Sunday, 25 November 2018

बंधन या स्वतंत्रता

दो कुत्ते ,दोनों भूखे
गली गली घूम रहे
दूत्कारे जा रहे
सोचते हैं हमारा भाग्य ऐसा क्यों
हमारे कुछ भाई बंद तो कार मे घूमते हैं
शैम्पू से नहाते है
घूमाने के लिए नौकर
अचानक भेंट हो गई कार वाले कुत्ते से
मालिक कार मे ही छोड़ कहीं काम से गए थे
देर हो गई थी
भूख भी लग रही थी
तभी यह दोनों पास आए
बोले क्या मजे है तुम्हारे
पर इस तरह बैचेन क्यों हो
अरे भाई भूख लगी है
मालिक ने न खुद खाया न मुझे दिया
बहुत बिजी है आज
तो आ जाओ हमारे साथ
कुछ न कुछ मिल ही जाएगा
पर मैं तो जंजीर से बंधा हूं ,तुम्हारी तरह स्वतंत्र नहीं हूं
सबका वक्त है
खाने से लेकर सोने तक
घर मे आए मेहमानों के स्वागत से लेकर घर के हर सदस्य की खुशी का
खाना भी परहेज भरा
डाक्टर की सलाह से
कभी कभी अकेले भी पड़ जाता हूँ
जब ये लोग घूमने चले जाते हैं
तुम लोगों की जिंदगी अच्छी है
मनमर्जी घूम रहे हो
अब तो दोनों एक -दूसरे को देखने लगे
सोचने लगे
हर किसी की अपनी परेशानी
कोई किस कारण दुखी तो कोई किस कारण
तब तक टोकरी उठाकर जाते हुये मछली वाले ने बची मछलियां उनके सामने उड़ेल दी
दोनों मजे से खाने लगे
कार वाला ललचाई नजरों से देख रहा था
सोच रहा था
यह बंधन अच्छा है या ऐसी स्वतंत्रता

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