Sunday, 11 November 2018

सिंदूर

यह सिंदूर है साहब
इसकी कीमत नहीं
यह तो बेशकीमती है
चढ़ता तो है माथे पर
उतर जाता है दिल मे
किसी को जिंदगी भर अपना बना लेता है
यह वह रंग है
जो कभी फीका नहीं पड़ता
इसका सिंदूरी रंग
जिंदगी को सुंदर बना डालता है
जो इस सिंदूर की कीमत जान जाता है
वह अपने साथ किसी और की जिंदगी
भी सुंदर बना डालता है
तभी तो सिंदूरदान की पूजा की जाती है
ईश्वर के चरणो पर चढ़ाया जाता है
फिर अपने माथे पर लगाया जाता है
कोई सही सलामत है
उसके लिए दुआ मांगी जाती है
हर दिन मांग भरी जाती है
अपने सुहाग की मंगलकामना के लिए
सिंदूर कोई पदार्थ नहीं है
यह तो सुहाग प्रतीक है
ऐसे ही हर सुहागिनो की मांग चमकती रहे
सिंदूर का सिंदूरी रंग
उसका तो कोई सानी नहीं
हर रंग उसके सामने फीका है
यह सुहाग रंग जो है

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