ये कलम के सिपाही है
बंदूक तोप नहीं
कलम और जुबान चलाते हैं
दूनियां को बदलने का माद्दा रखते हैं
घबराते हैं बड़े बड़े
सरकार भी गिरा डालते हैं
इनसे नहीं कोई टकराता
भले ही वह कितना बड़ा क्यों न हो
ये पत्रकार है
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं
माइक जब रहता इनके हाथ
तब मंत्री भी हो जाते संभल
दहाड़ कही गुम हो जाती
क्योंकि वह भोलीभाली जनता के सामने नहीं
एक पत्रकार से सामने होते हैं
जरा जबान फिसली कि
बस हो गया बंटाधार
पत्रकार है ये
कर्णधार है
जागरूक करना इनका कर्म
इनका फर्ज
युग बदला ,नये आयाम खुले
अखबार की शक्ल भी बदली
नयी तकनीक आई
टेलीविजन आया
समाचार अब पढ़े ही नहीं
देखे जाने लगे
पत्रकार भी मोर्चे पर डटे रहे
पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं
वह हर पत्रकार का इमान है
पत्रकार हमारी शान है
देश की आवाज है
बुलंद उनकी आवाज रहे
कलम का तेज रहे
इस कलम के सिपाही को सलाम
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Sunday, 18 November 2018
नेशनल प्रेस डे
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