डरता है भगवान से
यह बात है इंसान की
नहीं छूपता उससें कुछ
नहीं चलता उस पर बस
वह मेहरबान तो जिंदगी खुशहाल
वह नाराज तो जिंदगी बेहाल
न उसका रुप रंग
सब है उसके रहमोकरम
कौन है
कैसा है
न दिखता है
वह अदृश्य है
पर फिर भी सब जगह विद्यमान
उसकी शक्ति सब पर भारी
फिर वह विज्ञान हो या अनुसंधान
सारी सृष्टि का सृजनहार भी वही
विनाशक भी वही
दंड विधाता भी वही
उसकी लाठी सब पर भारी
दिग्गज आए और गए
पर विधाता के विधान को चुनौती न दे पाए
उसका विधान अटल रहा
हर किसी को नतमस्तक होना ही पडता है
कोई उसे नहीं जीत सकता
हाँ वह वश मे हो सकता है
अटूट प्रेम और निष्काम भक्ति से
उसके आगे स्वयं अर्पण हो जाओ
वह हर दुख ,पीड़ा हर लेगा
भक्त बनो
दास बनो अपने स्वामी के
मन मंदिर में बिठाओ
शरीर और आत्मा सब उसके अधीन
वह तो सुनेगा
तुम बुलाओगे जब भक्ति से
यह भक्त और भगवान के बीच का नाता है
उसमे किसी का प्रवेश नहीं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 28 November 2018
भक्त और भगवान
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment