Saturday, 17 November 2018

सर्द सुबह

सर्द सुबह
कुहासे मे डूबा हुआ
नीरवता छाई हुई
पेड़ भी खामोश
पत्तों मे भी सरसराहट नहीं
रात्रि का खुमार कायम
तभी भगवान भास्कर का आगमन
धीरे धीरे जैसे सब चेतन होने लगे
प्रकाश अपना रास्ता बना रही है
आगे बढ़ पत्तों से छन कर आ रही है
पक्षी चहचहाने लगे
पवन भी गतिमान हो रहा
पेड़ सावधान हो गया
पत्तियों की सरसराहट सुनाई दे रही
सारा जग जैसे फिर जीवित हो उठा
नव चेतना नव उमंग से
संदेश मिल गया है
उठो और जागो
भागो दौडो
काम मे लग जाओ
बिना कर्म जीवन निरर्थक
जागे बिना मुक्ति नहीं
हर दिन नया
हर सुबह स्फूर्त
भगवान भास्कर संदेश देते आगे बढ़ रहे हैं
मैं नियमित कर्म कर रहा हूं
आप भी करिए
आगे बढ़िए
सोना जीवन नहीं
जागना है
जागरूक बनना है
फिर वह सृष्टि का कोई भी जीव क्यों न हो
किसी की दयादृष्टि नहीं
स्वयं सबल और समर्थ बनना होगा

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