सर्द सुबह
कुहासे मे डूबा हुआ
नीरवता छाई हुई
पेड़ भी खामोश
पत्तों मे भी सरसराहट नहीं
रात्रि का खुमार कायम
तभी भगवान भास्कर का आगमन
धीरे धीरे जैसे सब चेतन होने लगे
प्रकाश अपना रास्ता बना रही है
आगे बढ़ पत्तों से छन कर आ रही है
पक्षी चहचहाने लगे
पवन भी गतिमान हो रहा
पेड़ सावधान हो गया
पत्तियों की सरसराहट सुनाई दे रही
सारा जग जैसे फिर जीवित हो उठा
नव चेतना नव उमंग से
संदेश मिल गया है
उठो और जागो
भागो दौडो
काम मे लग जाओ
बिना कर्म जीवन निरर्थक
जागे बिना मुक्ति नहीं
हर दिन नया
हर सुबह स्फूर्त
भगवान भास्कर संदेश देते आगे बढ़ रहे हैं
मैं नियमित कर्म कर रहा हूं
आप भी करिए
आगे बढ़िए
सोना जीवन नहीं
जागना है
जागरूक बनना है
फिर वह सृष्टि का कोई भी जीव क्यों न हो
किसी की दयादृष्टि नहीं
स्वयं सबल और समर्थ बनना होगा
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Saturday, 17 November 2018
सर्द सुबह
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment