दो हजार उन्नीस इंतजार कर रहा है
कह रहा है अब मेरी बारी है
बहुत कुछ कर लिया
अब तुम बिदा हो जाओ
मेरा भी लोगों को स्वागत करने दो
यह तो प्रकृति चक्र है
आना और जाना है
जो आएगा वह जाएगा
जाते जाते अपनी छाप छोड़ जाएगा
हर वर्ष का अपना महत्व
हर वर्ष की अपनी यादें
हर वर्ष का अपना करिश्मा
हर वर्ष का अपना योगदान
कभी हंसाया
कभी रूलाया
कभी सर चढ़ कर बोला
कभी आसमान पर
कभी जमीं पर
बहुत कुछ छोड़ जाता है
कहता जाता
मैं तो जा रहा हूँ
मुझे भूलाना मत
मैं आपके जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष
दो हजार अठारह हूँ
जा रहा हूँ दुआ देते
उन्नीस को रास्ता दे रहा हूँ
स्वागत है
अलविदा
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Sunday, 30 December 2018
2०18 -- 2019
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