Sunday, 30 December 2018

2०18 -- 2019

दो हजार उन्नीस इंतजार कर रहा है
कह रहा है अब मेरी बारी है
बहुत कुछ कर लिया
अब तुम बिदा हो जाओ
मेरा भी लोगों को स्वागत करने दो
यह तो प्रकृति चक्र है
आना और जाना है
जो आएगा वह जाएगा
जाते जाते अपनी छाप छोड़ जाएगा
हर वर्ष का अपना महत्व
हर वर्ष की अपनी यादें
हर वर्ष का अपना करिश्मा
हर वर्ष का अपना योगदान
कभी हंसाया
कभी रूलाया
कभी सर चढ़ कर बोला
कभी आसमान पर
कभी जमीं पर
बहुत कुछ छोड़ जाता है
कहता जाता
मैं तो जा रहा हूँ
मुझे भूलाना मत
मैं आपके जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष
दो हजार अठारह हूँ
जा रहा हूँ दुआ देते
उन्नीस को रास्ता दे रहा हूँ
स्वागत है
अलविदा

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