Sunday, 30 December 2018

का बरखा जब कृषि सुखाने

बस जी लेना तो जिंदगी नहीं
वह तो हर जीव करता है
खाना ,पीना ,सोना ,मरना
इसलिए तो आप इस दूनिया मे नहीं आए
हर जीवन का एक उद्देश्य होना चाहिए
वह आपको तय करना है
जीने का पैमाना
जो सबसे अलग हो
आपका असतित्व सिद्ध कर रहा है
जिंदगी वह फिल्म है
जिसमें आप अपना सर्वश्रेष्ठ अभिनय कर रहे हैं
अंतिम पड़ाव पर जब आप पीछे मुडकर देखेंगे
पूरी फिल्म और एक -एक क्षण चित्रित हो जाएगा
आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे
यह तो.बहुत कम है
काश थोडा और
यह जिंदगी ठहर जाती
पर वह कहाँ ठहरने वाली है
वह तो मुसाफिर है
जैसे ही यात्रा समाप्त होगी
वह तो वहीँ ठहर जाएगी
तब जब समय है तभी सोचना है
नहीं तो आप हाथ मलते रह जाएंगे
जिंदगी को जाते हुए देख मायूस हो जाएंगे
पर अब क्या फायदा
समय हाथ से रेत की तरह फिसल गया
     .  का बरखा
     ...        जब कृषि सुखाने

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