एक परिचित थे
बडे ओहदे पर
नाम था मटरू सिंह
ऐसा नाम
पता लगा ,उस नाम का राज
उस साल मटर बहुत हुई थी
जब ये जनाब पैदा हुए थे
आंगन मे सुखाने के लिए मटर बिछी रहती
कभी - कभी कोई गिर भी पड़ता
एक का तो हाथ भी टूट गया था मटर पर फिसल कर
बस यह बच्चा जब आया
तब दादी के मुख से निकल पड़ा
मटरूआ
अब सबके लिए वह मटरूआ हो गया
आम ज्यादा हुआ. उस साल
तो बेटी का नाम गुठली
पानी पीते मुख से आवाज़
तो कबूतर जैसे गुटरगूं इसलिए गुटरुआ
इसी नाम से संबोधा जाता है उन्हें
हर नाम का अर्थ तो होता है
पर हर नाम की एक घटना भी होती है
अब समझ मे आ गया
तभी तो लोग नाम के पीछे ज्यादा माथापच्ची नहीं करते थे
न विवाद खडा होता था
सहज रहे वे लोग
जो सूझा ,वह रख दिया
डब्बू ,मंगरू ,पिंट्या ,लालू ,इमरती ,लुटावन ,बंड्या,ककुड़ी,बबुड़ा ,भोला यहाँ तक कि भिखारी भी
यह सब इन्हीं लोगों की इजाद है
सही मे मानना पड़ेगा
क्या लोग थे वे
क्या जमाना था
क्या अजब - गजब नाम थे
बादशाह ,शंहशाह ,राजा ,रानी ,आँफिसर यह भी इसी श्रेणी मे है
कितना गिनाए
नाम है पर बेमिसाल है
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Sunday, 13 January 2019
वह भी क्या लोग थे
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