Sunday, 20 January 2019

ऐसा जहां हो अपना

निर्जन ,नीरव बियाबान हो
नहीं दूजा कोई
बस हम - तुम साथ हो
नहीं कोई शब्द
बस एकांत हो
पेडो की छांव हो
चांदनी रात हो
सुनहरा शमा हो
हाथों मे हाथ हो
सांसो की धड़कन पास हो
तुम्हारी खुशबू से सब सराबोर हो
तुम महसूस करो मुझे
मैं महसूस करू तुम्हें
तब तो फिजा भी रंगीन होगी
कुदरत भी मेहरबान होगी
साक्षी होगी
मेरे - तुम्हारे प्यार की
फूल बनकर
आशिर्वाद बरसाएगी
चांदनी रात को खुशगवार बनाएगी
तब बिन बातों के भी बात होगी
निहारते रहेंगे
आँखों मे आँख डाले
प्यार में डूब कर
नयी दूनियां बसा लेंगे
न किसी का डर
न किसी का पहरा
बस प्यार ही प्यार हो
ऐसा जहां हो अपना ।

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