Sunday, 20 January 2019

जीवन की परिभाषा

मैं सुख तुम दुख
मैं खुशी तुम गम
मैं हंसी तुम रूलाई
मैं प्रसन्नता तुम उदासी
मैं शांति तुम क्रोध
मैं सहनशीलता तुम बेकाबू
मैं धैर्य तुम अधैर्य
मैं सुंदर तुम बदसूरत
मैं संयमी तुम असंयम
मैं विशाल तुम सूक्ष्म
मैं विश्वास तुम अविश्वास
मैं विशेष तुम साधारण
मैं सरस तुम नीरस
मैं जीव तुम निर्जिव
मैं अच्छा तुम बुरे
मैं जीवन तुम मृत्यु
इसी मृगतृष्णा मे उलझे हम
बस एक ही समानता है
सत्य दोनों ही है
अपना जाल फेंक दिया है
हम जी ले
या मर ले
बस इसी उलझन मे उलझे हैं
ये दोनों तमाशाई है
तमाशा भी हमें दिखाना है
तमाशबीन भी हमें ही बनना है
यही जीवन की परिभाषा है

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