Saturday, 19 January 2019

एक मौके की दरकार

बरसात का मौसम
चारो तरफ हरियाली ही हरियाली
सब सुहावना
सूखे पेडों पर भी हरियाली
जीवनदान मिल गया जैसे
हर कली खिल उठी थी
हर फूल मुस्करा रहा था
सब पर जैसे नयी जवानी छाई हो
उमंगें अंगडाईयां ले रही हो
पत्ता पत्ता लहरा रहा था
मिट्टी भी सौंधी सौंधी महक रही थी
आज धरती रानी बनी थी

अचानक खिडकी के नीचे नजर गई
छोटे छोटे कोंपलों मे नया जीवन फूट रहा था
ये कहाँ से?
याद आया जब मटर या मूंग चुनती थी
कुछ खराब और पिचके को फेंक देती थी
वही उपेक्षित आज उगे हैं
नया जीवन मिला है
जल ने कमाल कर दिया
आज यह मानो मुंह चिढा रहे हो
कह रहे हो
हममे भी है दम
बस मौका तो मिले

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