Saturday, 26 January 2019

रात्रि

रात्रि की नीरवता
सब शांत
कहीं आवाज नहीं
हवा चले
पत्ता खडके
उसकी भी ध्वनि
यही ध्वनि दिन मे महसूस नहीं
आवाज ही आवाज
गाड़ी या पदचाप
यहाँ तक कि बातचीत भी
सब शोरगुल मे गुम
रात्रि एहसास है
दिवस गति है
दिन भर की गतिविधि का
रात को आभास
शांति मे सोचते हैं
हल खोजता हैं
सूबह क्रियान्वयन होता है
रात ही से दिन है

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