Friday, 18 January 2019

पनिहारिन चली डगर डगर

पनिहारिन चली डगर डगर
सर पर मटकी बगल मे गगरी
लेकर चली मटक मटक
पांव मे पैजनिया बाजे छनन छनन
कमर मे करधनी करे लचक लचक
हाथ मे बाजे चूड़ी घनन घनन
नाक की नथुनी हिले हौले हौले
माथे की बिंदी चमके चम चम
कमर लचकाती
बल खाती
नैना मटकाती
चली सुंदरी
माथे पर पसीने की बूंदें झिलमिल झिलमिल करती
हाथों से गगरी संभालती
घूंघट की ओट से झांकती
गजब ढाती
यह नदी तीरे चली
डगरिया है लंबी
प्यास भी तो बड़ी
पानी भरती
नदी किनारे हंसती - बतियाती
अठखेलियाँ करती
वापस लौट रही
गगरी संभालती
पानी छलकाती
लगती है यह पनिहारिन प्यारी
यौवन और मस्ती की शोखी
यह मेल बढ़ा देता इसकी खूबसूरती

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