चार बर्तन हो जहाँ
आपस मे टकराएंगे ही
टकराव की आवाज भी तो होगी ही
अकेले तो इनका भी कोई महत्व नहीं
भगोने के साथ कलछी
छुरी के साथ कांटा
चकले के साथ बेलन
कप के साथ प्लेट
साड़सी के साथ चिमटा
ऐसे ही न जाने कितने
पर यह दो ही काफी नहीं
इनके काफिले मे बहुत से लोग सवार
तब बनता है सुस्वादु भोजन
जीवनपथ पर भी काफिले के साथ ही चलना है
एक या दो लोग नहीं
न जाने कितनों का योगदान
तब कहीं जाकर जीवन जीने लायक
अकेले जीवननैया पर सवार नहीं हुआ जा सकता
यह हिचकोले लेते गहरे पानी डूब जाएगा
इसको बनाने- संवारने मे न जाने कितनों का हाथ
प्रत्यक्ष रूप या अपरोक्ष
सारे ब्रह्मांड की भागीदारी है इसमें
इसलिए हर जीवन का सम्मान भी सबकी जिम्मेदारी है
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Saturday, 19 January 2019
चार बर्तन और जीवन
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