मासूम पिता के शव के पास बैठा है
समझ नहीं पा रहा है
हो क्या रहा है
सब क्यों रो रहे हैं
तिरंगा पापा के शरीर पर क्यों लिपटा है
इसे तो फहराया जाता है
मौत क्या होती है
वह अनभिज्ञ है
शहीद कौन होते हैं
वह उसे मालूम नहीं
बस पापा की गोद मालूम थी
वह इतना क्यों सो रहे हैं
उठ क्यों नहीं रहे
उनके आसपास इतने लोग क्यों जमा है
उन्हें फूलों की माला क्यों डाली गई है
पापा तो बोलकर गए थे
जल्दी आएंगे
पर इतनी जल्दी तो कभी नहीं आते थे
कितना खुश हुआ कि
पापा आ गए हैं
पर यह तो सो रहे है
शायद यह नहीं पता कि
वह हमेशा के लिए सो गए हैं
अलविदा कह गए हैं
भारत माता के लिए कुर्बान हो गए हैं
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Monday, 25 February 2019
शहीद का बेटा
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