Tuesday, 12 February 2019

यादों की दुनिया

पुराने मित्र ,पुराने सूत्र
सब ही पुराने ,बरसों का साथ
याद आने लगे हैं प्रतिक्षण
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष
पुरानी तरंग
पुरानी धुन
पुराने प्रसंग
सारे रंग याद आने लगे
वह विद्यालय की घंटी
वह असेम्बली
भागना - दौड़ना
वह हंसना - खिलखिलाना
वह केंटीन वाले का इंतजार
वह कटिंग की भी कटिंग चाय
भूख लगने पर
अरे कुछ है क्या,जरा दे दो
शीतल का आलूवड़ी
रीना का केले वाला शीरा
संगीता का मिस  - ये लो खाओ
क्रांति का नमकीन मुरमुरा
जन्मदिन पर का ढोकला - केक
कलिका की कुल्फी का स्वाद
अभी भी ताजा है
पार्टी के बहाने भी बहुत
कभी कुछ तो कभी कुछ
त्योहार पर या ओकेजन पर
सीमा ,शीतल ,रेणुका ,शुभांगी का चरण स्पर्श
वह तो जैसे सांतवें आसमान पर पहुंचा देता
वी आई पी बना देता
सेलीना के साथ बैठ टेक्स निकलवाना
सुप्रिया के झुमके पर भी कविता
टेरिसा को तो पढ़ने का जैसे आर्डर देना
छूटे कि भागे घर की ओर
फिर अगले दिन तरोताजा होकर आने के लिए
वही गुड मार्निंग
वही रोज का सिलसिला
हम पुराने हो जाते हैं
रिटायर हो जाते हैं
पर यादें नहीं
वह तो हमें फिर नया बना देती है
हमें उसी दुनिया मे ले जाती है
जब भी लगता
पुराने हो रहे
यादों के झरोखे मे झांक लिया
उसी दूनिया मे लौटा देंगी
पूरा सैर करा देंगी
वह यादगार लम्हे फिर नया बना देंगे

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