Thursday, 21 February 2019

मन

घर बडा होता है
उसके अनुपात मे दरवाजा बहुत छोटा होता है
यह हमारा शरीर है
पर हमारा जो मन होता है
वह दिखता तो नहीं
पर विशालता को समेटे हुए
कभी सुकून नहीं
बड़ी बड़ी इच्छाए
इस मन मे समाई
शरीर को तो पता ही नहीं चलता
वह तो दरवाजे के समान है
जिसे अंदर का पता नहीं
कब किसका प्रवेश हो इस मन मे
कितना कुछ भरा है इसमें
यह कभी रीता नहीं रहता
इसकी क्षमता का अंदाजा लगाना मुश्किल
यह मन जो है
मन मुताबिक करना है
मन के साथ चलना है
यह सूक्ष्म है
पर विशालता को समेटे हुए
यह कभी झूठ नहीं बोलता
कभी धोखा नहीं देता
हम इसको भले नजरअंदाज करें
यह कभी नहीं करता
हर पल साथ निभाता
ऐसा होता है मन

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