Saturday, 2 March 2019

सर पर बड़ों का हाथ

बड़ों की टोकाटाकी
यह बर्दाश्त नहीं
उनको यह भान ही नहीं
कि बच्चे भी बड़़े हो गए हैं
उठते - बैठते सिखाना
ऐसा मत करो,वैसा करो
कभी कभी कोफ्त होने लगती है
गुस्सा भी आ जाता है
पर करें क्या??
झल्लाकर रह जाते हैं
पर उन पर कोई असर नहीं
जरा सोच कर देखे
अगर दूसरों पर झल्लाएं तो वह किनारा कर लेगा
बात बंद कर देंगे
खाना पानी पूछना तो दूर
देखेंगे भी नहीं
पर यह हमारे बड़़े सब सुनते और सहते हैं
क्योंकि उसमें प्रेम समाया है
हमारी खुशी उनकी खुशी
हमारा पेट भरा तो उनको अपनी परवाह नहीं
हमारा जीवन आसान बना देते हैं
और सबसे बड़ी बात तो
हम मन से छोटे महसूस करते हैं
स्वयं को नवजवान समझते हैं
क्योंकि हमारे ऊपर कोई बड़ा है
यह एहसास ही काफी है
चालीस हो या साठ
फिर भी हम है निश्चित
क्योंकि कोई है न हमारा फिकरमंद
ईश्वर की कृपा उस पर अपरम्पार
जिस सर पर बड़ों का हाथ

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