Wednesday, 6 March 2019

वाह जिंदगी क्या खूब जिंदगी

जिंदगी एक युद्ध है
यहाँ हर पल हर क्षण लड़ाई लडनी पड़ती है
कभी जीतते है कभी हारते हैं
यह अठारह दिनों मे समाप्त होने वाला महाभारत नहीं
यहां योगेश्वर कृष्ण भी समक्ष नहीं है जो सारथी बने
हमें अपना सारथी तो स्वयं बनना है
इस युद्ध मे लड़ना भी अकेले ही है
जिंदगी एक मंथन है
हर समय विचारों की रस्सी से मथना पड़ता है
कर्म करना पड़ता है
इस जीवनसमुद्र से विष भी निकलता है
अमृत भी निकलता है
खनिज और अनमोल मोती भी प्राप्त होते हैं
इस विष को तो पान हमें ही करना पड़ता है
यहां भगवान शिवशंकर नहीं है विषपान कर नीलकंठ होने के लिए
नीलकंठ भी हमी हैं
गिरना भी हमें ही हैं
उठना भी हमें ही हैं
यहां वाराह अवतार ले भगवान विष्णु नहीं आने वाले हैं
और हमें इस कीचड़ से निकालने वाले हैं
डूबना भी हमें ही है
उतराना भी हमें ही हैं
जिंदगी तो हमें ही जीना है
लड़खड़ाते हुए
गिरते पड़ते हुए
झटक कर धूल मिट्टी झाड़ते हुए
हर सुबह नये जंग से सामना करने के लिए
जोश स्वयं मे भरकर तैयार होने के लिए
अपनी लडाई स्वयं लड़ने के लिए
कुछ कर गुजरने के लिए
हार को जीत मे बदलने के लिए
जिंदगी को बताने के लिए
तू मुझ पर भार नहीं
तेरा एहसान है मुझ पर
कि तू मुझे मिली
मिली है तब भरपूर जीयें
स्वयं से ही कह उठे
    वाह जिंदगी क्या खूब जिंदगी

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